हजारीबाग शांतिकुंज हरिद्वार डीएस विश्व यूनिवर्सिटी उत्तराखंड के निर्देशन में एक बड़े उद्देश्य के लिए पिछले कई दिनों से, बहु प्रतीक्षित गृहे गृहे गायत्री यज्ञ का आगाज, शहर और आसपास के इलाकों में आज व्यापक रूप से एक बड़े भूभाग पर संपन्न हो गया।
एक पूर्व निर्धारित समयावधि में देश-विदेश के करोड़ों गायत्री परिजनों के साथ-साथ हजारीबाग के परिजनों ने भी गायत्री मंत्र और महामृत्युंजय मंत्र उच्चार के साथ जैसे ही यज्ञ आहुति डाली यज्ञ धूम्र वैदिक मंत्रों के साथ समन्वित होकर शनै शनै वायुमंडल में निसृत होने लगी मंत्रोच्चार की स्वर लहरियों के साथ साथ यज्ञ धूम्र लगातार कई मिनटों तक शहर के कोने-कोने से गुंजायमान होता रहा। करोड़ों लोगों की वैदिक स्वर लहरियों यज्ञ के धूम्र के साथ मिलकर मानो अंतरिक्ष के दरवाजे पर जोरदार दस्तक देने लगी। इस विराट यज्ञ में हजारीबाग शहर के अलावे कोर्रा मटवारी; मंडई नगमा सिंदूर इचाक झुमरा सिलवार के हजारों गायत्री परिजनों ने शिरकत की।
बताते चलें कि यह प्रक्रिया निर्मूल बिल्कुल भी नहीं है। विचारों में अद्भुत शक्ति होती है। सकारात्मक सोच के साथ सकारात्मक परिणाम ही निकलते हैं और जब एक ही विचारधारा को एक ही समय में करोड़ों लोगों द्वारा, अंतरिक्ष में प्रवाहित की जाती है तो उससे सकारात्मक परिणाम भी निकलते हैं।
गायत्री परिवार द्वारा संपन्न किया गया यह यज्ञ अपने आप में विलक्षण इसलिए भी है क्योंकि यह यज्ञ समारोह या उत्सव नहीं बल्कि इसके अंतर्गत पूरे विश्व समुदाय पर आई आफत तथा वातावरण में व्याप्त विषाक्तता को मिटाने के लिए शक्तियों का आह्वान किया गया।
इस विषय पर आपदा प्रबंधन के विपिन सिंह और मटवारी युवा मंडल संचालिका संगीता गोस्वामी ने बताया कि जो वैदिक समाधान गुरुजी (गायत्री परिजन पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य को गुरु जी कहकर पुकारते हैं) ने 40 50 के दशक में अपने द्वारा लिखी गई लगभग 3000 पुस्तकों के माध्यम से कहीं-कहीं देते रहे यह यज्ञ उसी का अनुपालन है। गौरतलब है कि पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य ने आने वाली अभी कि यह विकट समस्या और उसका समाधान के संदर्भ में काफी पहले अपनी पुस्तकों के माध्यम से बता चुके थे। बहरहाल गायत्री परिवार के द्वारा किया गया इस कार्य की सभी भूरी भूरी प्रशंसा कर रहे हैं उम्मीद है कि इसके नतीजे भी अच्छे निकलेंगे।