वर्तमान कोरोनावायरस और अध्यात्म तथा विज्ञान का अद्भुत समन्वय



हजारीबाग:- अध्यात्म और विज्ञान स्थूल रूप से दोनों अलग-अलग परस्पर विरोधी विचारधारा देखि गयी है | मगर दोनों एक ही दिशा में अग्रसर होती है। एक पदार्थ विज्ञान के द्वारा, तो दूसरा आत्मिक अध्यात्म के द्वारा दोनों को ही सूक्ष्म से सूक्ष्मतर की तलाश है | एक परम तत्व तो दूसरा परम सत्ता को तलाश रहा है इसी कारणवश गायत्री परिवार के संस्थापक पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य अध्यात्म और विज्ञान विरोधी  नहीं परस्पर पूरक माना है।

वस्तुतः जब जब मानवता पर कोई विश्वव्यापी संकट मंडराता है, तब तक अध्यात्म और विज्ञान दोनों अपने-अपने तरीकों से समाधान के लिए सक्रिय हो जाते हैं। वर्तमान की करुणा की विश्वव्यापी संकट का समाधान भी दोनों विचारधारा कर रहे हैं मगर इस बार दोनों के बीच अद्भुत समन्वय दृष्टिगोचर हो रहा है।

जहां अस्पतालों में एलोपैथिक दवा चल रहे हैं तो वहीं वेद की एक शाखा आयुर्वेद को भी समान रूप से तरजीह दी जा रही है। इसमें मजेदार पहलू यह है कि दोनों अलग-अलग नहीं अपितु साथ साथ कंधे से कंधा मिलाकर चल रहे हैं।

इसी क्रम में आज हजारीबाग जिला युवा प्रकोष्ठ अखिल विश्व गायत्री परिवार द्वारा गठित युवा मंडल मतवारी द्वारा बलि वैश्य लघु यज्ञ के द्वारा प्रसाद वितरण का कार्यक्रम चलाया गया। इस विषय पर आपदा निवारण प्रकोष्ठ के विपिन सिंह ने बताया की वैश्य यज्ञ का असर मनुष्य के मूल संस्कारों पर पड़ता है। पटवारी युवा मंडल की संचालिका संगीता गोस्वामी ने कहा कि इसमें प्रसाद वितरण के माध्यम से आगामी 31 मई को पूरे देश एवं विदेश में गायत्री परिजनों के द्वारा संपन्न होने वाले यज्ञ में अधिक से अधिक भागीदारी की संभावना तलाशने और उसमें और अधिक जागरूकता लाने का प्रयास किया जा रहा है।